जैसे होली में रंग, रंगो में होली
वैसे कान्हा मेरा, मैं कान्हा की हो ली
रोम रोम मेरा, कान्हा से भरा
अब कैसे में खेलूँ री, आँखमिचोली .. |
मैं तो कान्हा से मिलने अकेली चली
संग संग मेरे, सारे रंग चले
ज़रा बचके रहो, ज़रा हटके चलो
बड़ी नटखट है, नव रंगों की टोली ..||
अब तो तन मन पे श्याम रंग चढा
कंचन के तन रतन जडा
बनठन के मैं बैठी, दुल्हन की तरहा
कान्हा लेके चला, मेरे प्रेम की डोली ... ||
गीत : ग्वाला
संगीत : अरुण सराफ