रंग रंगीला फागुन आया भाजे ढोल नगाड़े,
धरती और गगन में गूंजे जय श्री श्याम के नारे,
सजी स्वर्ग से खाटू नगरी चाँद लगा शरमाने,
निशान चढ़ाने श्याम धनि का खाटू चले दीवाने,
क्यों की श्याम मेला आया है सभी भक्तो को भुलाया है,
जिहने मेरे संग जाना है,
संग वो मेरे आ जाओ,
रेल से जिनको जाना है चले वो रेल से जाओ,
अगर कोई संगी साथी हो उसे भी संग ले आओ,
ये फागुन वाली ग्यारस है चले आओ चले आओ,
क्यों की श्याम मेला आया है सभी भक्तो को भुलाया है,
कोई आया कलकत्ते से कोई अमृतसर से,
कोई आया दिल्ली से कोई हरयाणे से,
मथुरा वृन्दावन से तगड़ा रेला आया है,
क्यों की श्याम मेला आया है सभी भक्तो को भुलाया है,
कही कीर्तन श्याम धनी का कही धमाल रंगो का,
ख़ुशी के मारे खिला हुआ है चेहरा भक्त जनो का,
भंडारी का जगह जगह पंडाल लगाया है,
क्यों की श्याम मेला आया है सभी भक्तो को भुलाया है,
दीब पधारी स्वर्ग लोक से सावरिया के द्वारे,
कोई बोले सेठ संवारा कोई श्याम पुकारे,
देख अनाड़ी ममता का दिल हरषाया है,
क्यों की श्याम मेला आया है सभी भक्तो को भुलाया है,