मेरे दिलदार बाबा सुन,
पड़ी मझधार में नैया,
उठा पतवार आके,
उठा पतवार आके॥
मैं हूँ बाबा बहुत दुखारी,
आया हूँ मैं शरण तुम्हारी,
दरश करादे श्याम मुरारी,
तुम्हारा नाम सुनकर के,
तुम्हारे पास आया हूँ,
सहारा दे दो आकर के॥
हे मेरे मालिक देना सहारा,
छोड़ ना देना दामन तुम्हारा,
नाम तुम्हारा प्राणों से प्यारा,
लगन तेरी लगी दिल में,
तुम्हारा नाम जपता हूँ,
लगा दो पार आकर के॥
कबसे पुकारूँ सुनता नहीं है,
तेरे सिवाय मेरा कोई नहीं है,
‘बनवारी’ तुझ बिन कुछ भी नहीं है,
नहीं कोई सहारा है,
मगन रहता हूँ फिर भी मैं,
तुम्हारे गीत गाकर के॥
मेरे दिलदार बाबा सुन,
पड़ी मझधार में नैया,
उठा पतवार आके,
उठा पतवार आके॥