बेटा कहता बाप से तेरी क्या औकात

नई सदी से मिल रही यह कैसी सौगात l
बेटा कहता बाप से तेरी क्या औकात ॥

पानी आंखो का मरा मरी शर्मा और लाज ।
कहे बहू और सास से घर में मेरा राज ॥

भाई भाई करता नहीं भाई पर विश्वास ।
बहन पराई हो गई साली खासमखास ॥

मंदिर में पूजा करें घर में करें क्लेश ।
बाप तो बोझा लगे पत्थर लगे गणेश ॥

बचे कहां अब शेष हैं दया धर्म ईमान ।
पत्थर के भगवान हैं पत्थर दिल इंसान ॥

पत्थर के भगवान को लगते छप्पन ।
भोग मर जाते फुटपाथ पर भूखे नंगे लोग ॥

फैला है पाखंड का अंधकार चहुँ ओर ।
पापी करते जागरण मचा मचा कर शोर ॥

पहन मुखौटा धर्म का करते दिन-भर पाप ।
भण्डारे करते फिरें घर मे भूखा बाप ॥

रचना:रघुविन्दर यादव,नारनौल(हरियाणा)
स्वर:गिरधर महाराज,भाटापारा(छत्तीसगढ़)
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