एक तू ही सार है संसार तेरे चरण में,
नील लोहित तार देने आ गया तेरी शरण में,
उपकार कर अब तार दे तीनो जगत के पार कर,
श्री कंठ अविनाशी अनंग विरूपाकश वैरागी शिवम्,
शिवम् शिवम् शिवम्
दीं भाव दया निधि गिरी प्रिया वेदा की शिवम् ,
काल भी महाकाल भी सर्वज्ञ है आदि शिवम्,
रुदर तेरे क्रोध का इक अंश ही है पल अभी,
हे त्रिलोचन बिगड़े जो तू भस्म कर दे जगत ही,
कण कण में शन शन में व्यापत है हर दम शिवम्,
शिवम् शिवम् शिवम्
अर्थ है तू निरथ भी ज्ञान और अज्ञान भी,
शिवो परी इस जगत में कुछ नहीं कुछ भी नहीं,
अप वर्ग परगता रख भवम श्री कंठ मृत्यु न जये शिवम,
भस्म अंग जटा में गंग त्रिकाल दर्शी सदा शिवम् ,
हर हर शाश्वत समे में अज अमर अव्ये शिवम्,
शिवम् शिवम् शिवम्