श्री वृष्भानु दुलारी हमे प्रानन से प्यारी
हमें प्रानन से प्यारी हमें प्रानन से प्यारी
सकल ब्रिज की महरानी किशोरी राधा रानी
दया करुना की सागर नही कोई इनका सानी
यही सन्तन हितकारी यही रस्कन को प्यारी
श्री.......
जो इनकी शरन मे आये प्रेम भक्ति रस पाये
कही आये ना जाये वही आनन्द मनाये
वही इनकी मनुहारी महिमा जग से नयारी
श्री.......
सकल भ्रमांड भी देखो श्री चरनं पे वारा
रचा जिसने जग सारा वो इनके आगे हारा
फिरे आगे पिछाड़ी पुकारे प्यारी प्यारी
श्री........