हिचकी ऊपर हिचकी आवे भुला रहा संवारा,
फागण की मस्ती में ये दिल हो गया वनवरा,
मैं तो खाटू जाउगा रोके न रुक पाउगा,
मोह माया का छूट जाता है जाके वहा झमेला,
मस्ती का महा कुंभ है मेला ये अलबेला,
लंदन देखा पेरिस देखा फिर भी ये दिल न भरा,
फागण की मस्ती में ये दिल हो गया वनवरा,
मैं तो खाटू जाउगा रोके न रुक पाउगा,
ज्ञान न रहता भले बुरे का मिट जाती है सारी गल,
मैं भी पागल तू भी पागल जिसको देखे वो पागल,
वो चाँद भी देखा तारे देखे फिर भी ये दिल न भरा,
फागण की मस्ती में ये दिल हो गया वनवरा,
मैं तो खाटू जाउगा रोके न रुक पाउगा,
खाटू जाने को जी मचले जिस को देखो तरसता है
बोली सारी ही दुनिया को ऐसा रंग बरसता है,
कितने सावन देखे जोगी फिर भी ये दिल न भरा,
फागण की मस्ती में ये दिल हो गया वनवरा,
मैं तो खाटू जाउगा रोके न रुक पाउगा,