इक दो तीन चार श्याम धनी की जय जय कार,
खाटू की करलो तयारी भुला रहा है लखदातार,
आया बाबा का हेला श्याम धनि का मेला,
फागण महीना अलबेला रे,
खाटू में श्याम रंगीला सोहना सोहना सजीला है न्यारी इसकी लीला,
सब पे रखता है ये अप्नियाँ नजरियां,
फागुन का मेलो आ गया रे चलो खाटू नगरियां,
दरबार खाटू में बैठा लगा के जो चाहे मांग ले तू यहाँ आके,
झोली भरे सब की मेरा सांवरियां,
फागुन का मेलो आ गया रे चलो खाटू नगरियां,
आया भुलावा तू चूक न जाना इस बार तुझको भी है खाटू है आना,
हाथो में लेके निशान केसरियां,
फागुन का मेलो आ गया रे चलो खाटू नगरियां,
सेठो का सेठ मेरा श्याम खाटू वाला,
हारे का साथी ये देव निराला,
सौरव मधुकर कहे बीच बजरिया,
फागुन का मेलो आ गया रे चलो खाटू नगरियां,