खुद से चल जाती नैया जो हमारी

दुनियां में कोई भी सहारा न मिला,
कस्ती को कोई भी किनारा न मिला ।
मेरे माझी बन जाओ, मेरी नाव चला जाओ ॥

खुद से चल जाती नैया जो हमारी,
तो फिर ना होती दरकार तुम्हारी ।
मेरे माझी बन जाओ, मेरी नाव चला जाओ ॥

सुख में भुलाया तो दुःख ने सताया,
मुसीबत में कोई भी काम न आया ।
मेरी बिगड़ी बना जाओ, मेरी लाज बचा जाओ ॥
खुद से चल जाती...

खुद से ये नैया चला के मैं हारा,
आखिर में तुझको ही मैंने पुकारा ।
आओ जल्दी आओ पटवार पकड़ जाओ ॥
खुद से चल जाती...

कोई अच्छा माझी जो नैया चलाता,
तुझको बुलाने का मौका ना आता ।
ये अटक गयी नैया आकर के चला जाओ ॥
खुद से चल जाती...

मेरा बस तो तुम पे ही चलता कन्हैया,
तेरे ही चलाने से चलती है नैया ।
भाव पार लगा जाओ अर्जी ना ठुकराओ ॥
खुद से चल जाती...

कभी सोचता हूँ हमारा क्या होता,
अगर कान्हा तेरा सहारा ना होता ।
कहे पवन को समझाओ इतना तो बतलाओ ॥
खुद से चल जाती...
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