मैं निर्धन तू सेठ साँवरा के फायदा इस यारी का,
बता कद ताला खोलेगा बाबा बंद किस्मत म्हारी का,
तेरे ते ना मांगूगा तो और बता कित्त जाऊँ मैं,
चेतक का के करना ओडी रैड फरारी चाहूँ मैं,
मैं पैदल खुद मजा लेवे सै लीले की असवारी का,
बता कद ताला खोलेगा ....
इतना दे दे साँवरिया हो घर में सारी मौज मेरे,
मैं भी जिद्द का पक्का सूं ना मांगण आऊँ रोज तेरे,
सारी दुनिया में सै चर्चा तेरी लखदात्तारी का,
बता कद ताला खोलेगा ..
मांग मांग के थक गया सूं इब शर्म घणी मनै आवे सै,
के मजबूरी मनै देन में इतनी देर लगावे सै,
भग्त तेरा भी बाट देख रहया कदका अपनी बारी का,
बता कद ताला खोलेगा .......
आज पड़या सै पाला सुनले मांनू मैं भी हार नहीं,
या फिर कह दे साँवरिया तनै " भीमसैन " ते प्यार नहीं,
मैं तेरा तू मेरा सै के लेना दुनियादारी का,
बता कद ताला खोलेगा ..
लेखक : श्री भीमसैन जी भिवानी वाले
गायिका : प्रविन्दर पलक फतेहाबाद
!! जय श्री श्याम जी !!
भजन प्रेषक : प्रदीप सिंघल (जीन्द वाले)