डाकिया जा जा जा,
इस फागुन की पेहली चिठ्ठी फागुन में दे आ,
डाकिया जा जा जा.
वह का मासूम बड़ा हसीन है,
फिर भी दास उदास है,
उनसे कहना दूर सही में दिल तो उन्ही के पास है,
तू ये संदेसा जल्दी ले जा मैं पीछे आया,
डाकिया जा जा जा......
स्वर्ग सी धरती अजब नजारा चारो और बहारा है
मैं ही अकेला यहाँ पे बैठा मुझसे क्या तकरार है,
तू ये संदेशा जल्दी सुनान अब मैं हार गया,
डाकिया जा जा जा.....
चारो धाम से प्यारा बाबा तेरा खाटू धाम है,
रींगस से खाटू चलने को श्याम नाम जय कार है,
मैं पिशे कैसे रहता हु अब तो श्याम बता,
डाकिया जा जा जा...
अर्जी तेरी पौंछ गई है खाटू के दरबार में,
खाटू वाला खुद ही बोलै बैठा इंतज़ार में,
राजेश महावर आन पड़ा है पहुँच गया दरबार,
डाकिया जा जा जा