सुन धुन बंसी की जागी,
तज लोक लाज मैं भागी,
मुझे सुध बुध न तन मन की लागि लगन सँवारे सजन की ,
मुझे चाह नहीं अब कोई मैं जोगन नन्द नंदन की,
सिर सोहे मुकत निराला,
गल में मोतियन की माला कानो में कुंदन वाला,
मोरे मन में वसा ये ग्वाला
मेरे राहो में उसकी होगी मैं जोगन नन्द नंदन की ,
चितवन से चित हर डाला लूट गई मैं भोली भाला,
अपने रंग में रंग डाला रंग रेज ये बड़ा निराला
खेले नित प्रेत की होली मैं जोगन नन्द नंदन की ,
छलिया ये बड़ा निराला मेरी नींद चैन हर डाला,
सपनो में नित है आता जब जागु ये छिप जाता,
खेले ये आँख मचोली मैं जोगन नन्द नंदन की ,