किशोरी इतना तो कीजो, लाड़ली इतना तो कीजो,
जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने को दीजो ।
भोर होत महलन में थारे सेवा में निस जाऊं,
मंगला के नित्त दर्शन पाऊं, जीवन सफल बनाऊं ।
किशोरी मोहे सेवा में लीजो, लाड़ली सेवा में लीजो,
जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने को दीजो ॥
पड़ी रहूँ मैं द्वार तिहारे, रसिकन दर्शन पाऊं,
भगतन की पद धूलि मिले तो अपने सीस चढाउँ ।
किशोरी मोहे द्वारे रख लीजो, लाड़ली द्वारे रख लीजो,
जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने को दीजो ॥
भूख लगे तो ब्रजवासिन के टूक मांग के खाऊं,
कभू प्रसादी श्री महलन की कृपा होए तो पाऊं ।
किशोरी मेरी विनय मान लीजो, लाडली विनय मान लीजो,
जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने को दीजो ॥
राधे राधे रटूं निरंतर तेरे ही गुण गाऊं,
तेरे ही गुण गाय गाय मैं तेरी ही होय जाऊं ।
किशोरी मोहे अपनी कर लीजो, लाड़ली अपनी कर लीजो,
जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने को दीजो ॥