पूछ रही राधा बताओ गिरधारी

पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी,

गोकुल में छुप छुप के माखन चुरायो,
ग्वाल वाल संग मिल बाँट के खायो,
दर्शन की प्यासी ये राधा वेचारी,
मैं लगु प्यारी......

दिन सारा घूम बिन दामन भटको,
मुझसे दूर दूर रह तुम छतक्यों,
अच्छी लगी तुम को ये ग्वालिन की गाड़ी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी.....

कान्हा तेरे बोले से मधु कप क्त है,
संवारी सूरतियाँ से रस बरसत है,
श्याम का है देते मेरी सूद विसारी,
मैं लगु प्यारी .........
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