शिव शंकर की देख छटा मेरा मन हो गया लटा पटा
एक हाथ में डमरू साजे,एक हाथ त्रिशूल साजे
अरे माथे पे चन्दा आधा कटा
मेरा मन हो गया लटा पटा
शिव........
तन पर रमाये भसम बबुती,औगन नाथ रुदर अब्दुती
अरे जटा झुट लट कैसे घटा
मेरा मन हो गया लटा पटा
शिव........
एक गले नाग सोहे,शीश पे गंगा मन को मोहे
तन पे रहे बागम्बर घटा
मेरा मन हो गया लटा पटा
शिव.........