तुम्हे देखने की तमना बड़ी है,
इन आँखों की किस्मत जगा दो जी साई,
सुना मैंने शिरडी के अजब है नजारे,
मेरा भी भुलावा लगा दो जी साई,
है लगी लग्न किसी दिल में और मन हो के साई तुम में मग्न तुम्हारे गांव में रहे,
तुम रहे यहाँ बिताये कुछ पल हम वहां तुम्हारे नीम की ठंडी मीठी छाव में रहे,
भाग की लकीर तुम्हारे पाँव में रहे,
तुम्हारी रसोई का है परशाद अमृत हमे भी किसी दिन चखा दो साई,
करदो इक नजर अर्ज करो हाथ जोड़ कर भुला लो साई अपने दर मेरे बात मान लो,
रंग लो अपने रंग ले चलो शिरडी अपने संग मैं हु बिन डोर की पतंग,
मेरा हाथ थाम लो,
दीवाना तुम्हारा हु तुम भी जान लो,
कभी अपने हाथो से अपनी भभूति,
माथे पे मेरे सजा दो जी साई,
तुम्हे देखने की तमना बड़ी है,