शंख वजाये शीश झुकाये लो फिर आई है गुरु पूजा,
साई शरण में झुकते जाये लो फिर आई है गुरु पूजा,
कोई ना अपना सब बेगाने,
सब को देखा सब को परखा,
बड़ी मुश्किल से हम समजे है जग है अगनि साई है बरखा,
ख्वाब सबको ये समजाये लो फिर आई है गुरु पूजा,
शंख वजाये शीश झुकाये लो फिर आई है गुरु पूजा,
साई सहारे हम को मिला है,
हर सुख मन का हर सुख तन का,
खुलते जाये बंद दरवाजे हल पाया है हर उल्जन का,
दूर हुई है हर चिंताये लो फिर आई है गुरु पूजा,
शंख वजाये शीश झुकाये लो फिर आई है गुरु पूजा,