जब से मेरा हुआ शिरडी वाला,
खुल गया मेरी किस्मत का ताला,
साई बाबा ने जीवन सवारा मेरा लिख दियां भाग देखो दोबरा मेरा,
मैं बंधा था गरीबी की जंजीरी में रूखी सुखी थी बस मेरी तकदीर में,
आज है देसी घी का निवाला,
खुल गया मेरी किस्मत का ताला,
मेरी अर्जी पे जब साई ने गौर की मैंने चौकठ न देखि किसी और की,
अब जमाने से क्या वसता है मुझे याद शिरडी का बस रास्ता है मुझे,
शिरडी वाले ने ही मुझ को पाला
खुल गया मेरी किस्मत का ताला,
अपने मंदिर के जैसा मुझे घर दियां,
मेरा दमन बिना मनाएगे ही भर दियां,
अब किसी चीज की कमी न रही मेरे पलको में बाबा नमी न रही,
मुझको गिरने से पहले सम्बाला,
खुल गया मेरी किस्मत का ताला,