जय हो तेरी महामाई

गलियां और बाजार से देखो,
सात समुद्र पार को देखो देता यही सुनाई,
जय हो तेरी महामाई,जय हो तेरी महामाई,

क्या उत्तर क्या दक्षिण देखो क्या पूर्व पश्चिम वाले,
अमरीका अफ्रीका देखो क्या गोरे और क्या काले,
तबला ढ़ोलक ताल में देखो सात सुरों के साज में देखो,
एक ही धुन है लगाई, जय हो.......

रामायण चाहे गीता पढ़ लो क्या शक्ति बिन पूरे हैं,
माँ की महिमा जो नहीं गाते वो सब ग्रंथ अधूरे है,
मंत्रों की गुँजार में देखो वेंदो के भी सार में देखो,
माँ की महिमा गायी, जय हो.......

सात सुरों की सरगम भी बिन माँ के लगे अधूरी है,
गर्भ में भी बालक की इच्छा माँ ही करती पूरी है,
इश्क़ महोब्बत प्यार में देखो गुस्से और तकरार में देखो,
माँ ही होत सहाई, जय हो.......

माँ के प्यार को पाकर ही तो श्याम सुंदर बतलाता है,
लेकर माँ नाम प्यार से अपनी कल्प चलाता है,
लक्खा इस संसार में देखो पतझड़ और बहार में देखो,
माँ की ज्योत समायी,जय हो.......

पंडित देव शर्मा
श्री दुर्गा संकीर्तन मंडल
रानिया सिरसा
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