हमे श्याम जीने का बहाना न मिलता,
तेरे दर ना आते तेरे दर ना आते,
भटक ते ही रहते ठिकाना न मिलता,
तेरे दर ना आते तेरे दर ना आते,
बे रंग दुनिया फीके नजारे,
पराये से दिखते थे अपने ही सारे,
भाग ये उमीदो का फिर से न खिलता,
तेरे दर ना आते तेरे दर ना आते,
तेरे सिवा मेरी सुनता न कोई,
तेरे ही आगे श्याम मेरी आंख रोइ,
जख्म मेरे दिल के कोई न सिलता,
तेरे दर ना आते तेरे दर ना आते,
जब से तुम्हे श्याम माना है अपना,
पूरा हुआ मेरे जीवन का सपना,
सपने ये खुशीओं के कोई न बुनता,
तेरे दर ना आते तेरे दर ना आते,
खुशियों से तूने भर दिया दामन,
तुम से महक ता है मेरा घर आँगन,
रोमी किरपा का खजाना न मिलता,
तेरे दर ना आते तेरे दर ना आते,