गुल्भी रंग बरसे कौन बरसावे,
संगता नु लगदा भोहड़ा वाला आवे,
गुल्भी रंग बरसे कौन बरसावे,
बाबा दे नाम प्यारा पूजे जी आलम सारा.
मन दर्शन ताहि तरसे कौन तरसावे,
गुल्भी रंग बरसे कौन बरसावे,
खुलैया पेंदा राह देखो दर दा नहीं राह राह देखो,
लंगर महरा वाला बरसे कौन बरसावे,
गुल्भी रंग बरसे कौन बरसावे,
बाबा जी बोहड़ा वाला संगता दा है रखवाला,
ओह संगत जुड़ के बैठी दर ते शिंदर सोमा भेटा गावे,
गुल्भी रंग बरसे कौन बरसावे,