पूनम की यह रात है, डरने की क्या बात है,
जो चाहे वो मांगले, बाला का दरबार है
आजा आज आरे-आरे आरे आ….
बालाजी के द्वारे आके, दर्शन करोगे,
जो भी मन चाहा फल पाके रहोगे,
निर्धन हो या धनवाना, सुनते हैं सबकी बाला,
तू किस्मत को अपनी जगा, क्यों जीवन से होता खफा,
आजा….
अरे ज्योति अखण्ड यहां जलती रे जलती, जै बाला की
सारे बोला जै बाला की बालाजी के,
विराजे यहां कोतवाल, श्री प्रेतराज सरकार,
दुष्टों के पड़ती है मार, भक्तों को मिलता है प्यार,
आजा….
पंडित देव शर्मा
श्री दुर्गा संकीर्तन मंडल
रानिया सिरसा