ना रोवे ज्योत पे आवे गे वो पवनसुत हनुमान सखी,
रोवे न तू धीरज धरले संकट मोचन हार वही,
जग रखवाला अंजनी लाला सब की सुने पुकार वही,
उन्हें सब भगता का ध्यान रे सखी,
ना रोवे ज्योत पे आवे गे वो पवनसुत हनुमान सखी,
राम दुलारे अंजनी प्यारे ना भगतो से दूर रहे,
राम ही राम पुकारे वो तो भगति के में चूर रहे,
उन्हें सारा है अनुमान रे सखी,
ना रोवे ज्योत पे आवे गे......
वो बलकारी जाने सारे आके संकट काटेगा,
माया न्यारा हो वो नाकारी गुण अवगुण ने छाते गा,
वो मुख से करवाऐ व्यान रे सखी,
ना रोवे ज्योत पे आवे गे ...............
हे खुखर बोले मनवा ढोले ध्यान ठिकाने तेरा ना,
सुन उस दिन से सच्चे मन से तेरा बाला जी तेरा नाम,
अशोक धना नादान रे सखी,
ना रोवे ज्योत पे आवे गे,