(तर्ज: थारी नगरी में सांवरिया….)
ओ म्हारा गजानंद सरकार पधारो कीर्तन के माहीं
कीर्तन के माहीं पधारो कीर्तन के माहीं
प्रथम न्योतो म्हे भिजवायो ,
बिन थारे म्हारो जी भरमायो ,
क्या में अटक्या समझ ना पायो ,
रंग बरसाओ थे ही देवा , बिच सभा माहीं
आवण की थे करल्यो त्यारी ,
मूसे की कर के असवारी ,
लीला आज दिखाद्यो थारी ,
कीर्तन की सब हुई तैयारी , ले लो थे राहीं
देवी देव सब राह निहारे ,
शिव शंकर के लाल दुलारे ,
पार्वती के आँख के तारे ,
कृपा की बरसात करो थे , देर करो नाहीं
देखो देव दया बरसावै ,
कीर्तन माहीं रंग जमावै ,
देवी देवता सब हरषावै ,
'देवकीनंदन' शरण आपकी , चरणां के माहीं