चिट्ठी आई रे झुंझनू से म्हारी दादी की

चिट्ठी आई रे झुंझनू से म्हारी दादी की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...
दादी की जी म्हारी मइया की...
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...

जोग लिखी झुंझनू से भक्तो
माँ को आशीष बचियो रे
याद सतावे म्हारे टाबर की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...
चिट्ठी आई रे झुंझनू से म्हारी दादी की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...

कुशल मंगल मै हूँ झुंझनू में
थारो हाल बता द्यो जी
बेधड़ के बोल्यो बात्यां थारे मन की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...
चिट्ठी आई रे झुंझनू से म्हारी दादी की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...

कितना ही दिन बीत्यां रे लाला
मिलबा ने मन तरसै रे
घड़ी रे घड़ी म्हाने आवे हिचकी
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...
चिट्ठी आई रे झुंझनू से म्हारी दादी की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...

भूल से गर तू भूल भी जावै
पण म्हे थाने ना भूलूँ
राखूं खबर तेरी पल पल की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...
चिट्ठी आई रे झुंझनू से म्हारी दादी की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...

चिट्ठी आई रे झुंझनू से म्हारी दादी की
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...
दादी की जी म्हारी मइया की...
चिट्ठी आई रे...चिट्ठी आई रे...

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