भादो आया है कि भादो आया है,
चलो दादी के द्वार,
मनायें नच नच कर,
दादी का त्यौहार,
कि भादो आया है............
केडवाली दादी बुलाती,
दिल ये रह नहीं पाता,
भक्तों में खुशियाँ छा जाती
जब-जब भादो आता
दादी का नाम लिए,
दादी के धाम चले,
करते जयजयकार,
कि भादो आया है,
चलो दादी के द्वार,
मनायें नच नच कर,
दादी का त्यौहार,
कि भादो आया है.............
चूड़ा चुनड़ी से हम दादी,
तुमको आज सजाते,
झूम-झूम कर नाच और गाकर,
तुमको है रिझाते,
लाल सुरंगी चुनड़ी उढ़ाकर,
करें माँ का श्रृंगार,
कि भादो आया है,
चलो दादी के द्वार,
मनायें नच नच कर,
दादी का त्यौहार,
कि भादो आया है.............
कहती"मधु"ओ दादी मेरी,
कैसे दिन ये गुजारे,
हरपल आते सपने में हम को,
केड ही के नजारे,
हाथों में निशान लिये,
दादी का नाम लिये,
चलो चलें केडधाम,
कि भादो आया है,
चलो दादी के द्वार,
मनायें नच नच कर,
दादी का त्यौहार,
कि भादो आया है,