बाबा तेरी अमर कथा वेदो ने बखानी है,
मैं दर का भिखारी हु तू तो शीश का दानी है
मैं हार गया जग से सुन ले नीले वाले,
अब साहा नहीं जाये पैरो में पड़े छाले,
मैं हु निर्बल बाबा तू तो बलवानी है,
मैं दर का भिखारी हु तू तो शीश का दानी है
अब कैसे लाज बचे कोई न हमारा है,
मारो या पुचकारो ये दास तुम्हरा है,
अब तेरे हवाले मेरी सारी ज़िंदगानी है,
मैं दर का भिखारी हु तू तो शीश का दानी है
दर दर ठोकर खा के आया तेरे द्वारे,
खाली झोली मेरी कुछ पास नहीं माहरे,
टप टप के मेरी आँखों से पानी है,
मैं दर का भिखारी हु तू तो शीश का दानी है
तेरा दास दविंदर तो घुट घुट के जीता है,
तेरा शीश दान बाबा बड़ा पराम् पुनीता है,
अभिशेख ने लिख डाली ये तरुण कहानी है,
मैं दर का भिखारी हु तू तो शीश का दानी है