तरसाने की आदत तेरी सँवारे
तेरा आँखे लड़ाना गज़ब ढा गया,
तूने पकड़ी कलहाइ मेरी सँवारे,
सीने से लगाना गज़ब ढा गया,
तेरी गलियन के चकर लगाते है हम,
तुझे देखन बहाने बनाते है हम,
हुई नुकड़ पे आकर खड़ी सँवारे,
तेरा छेड़ के जाना गज़ब ढा गया,
सारी ग्वालन में कौन है प्यारी तुझे,
इश्क़ किसे से है बांके बिहारी तुझे,
यही चर्चा है हर दम छिड़ी सँवारे,
तेरा अपना बनाना गज़ब ढा गया
तेरी बांकी अदाओ पे मर मिट गये,
पास कुछ न रहा यु ही लूट पिट गये,
दिल फूल कमल की कलि सँवारे,
तेरा रास रचना गज़ब ढा गया