कल सुपने च होई मुलाक़ात वे

कल सुपने च होई मुलाक़ात वे,
मेरे वस च नही जज्बात वे,

ओ तेरियां ही गल्ला करदी सी वे मैं करदी करदी सो गई,
सुध बुध मेनू भूल गई वे श्यामा याद तेरी दे विच सो गई,
कल सुपने च होई मुलाक़ात वे,

वृन्धावन मेरी झोपडी श्यामा आसे पासे संत वे,
रूप तेरे नु देख के वे श्यामा भूल गई सारे ग्रंथ,
राती सुपने च होई मुलाक़ात वे,

हथ तेरे दे विच बांसुरी वे श्यामा गल वेजंती माला वे,
मोर मुकट तो जान गई श्यामा तू ही बंसी वाला वे,
राती  सुपने च होई मुलाक़ात वे,

यमुना ठा ठा मारदी वे श्यामा सुंदर बंसी दी तान वे,
दो ही बूंदा पितियाँ वे श्यामा खुल गए मेरे नैन वे,
कल सुपने च होई मुलाक़ात वे,
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