थारो देख लियो दरबार
इब के मांगन की दरकार
नाही हीरा-मोती,नाही सोना-चांदी चाहिए,
म्हाने तो बस म्हारी झुंझनवाली दादी चाहिए
जद से झुंझनवाली को पल्लो म्हे पकड़्यो
आज तलक म्हारो कुछ नही बिगड़्यो
बस मोती सेठानी बारु महीना राजी चाहिए
म्हाने तो बस म्हारी झुंझनवाली दादी चाहिए
टाबरा नै रात-दिन देखती रवै माँ
झुंझनू से बैठी बैठी भेजती रवै माँ
नाही डूबन देवे नैया,ऐसी मांझी चाहिए,
म्हाने तो बस म्हारी झुंझनवाली दादी चाहिए
बनवारी ऐसो तो दरबार मिले ना
मावड़ी बिना परिवार चले ना
थारे चरना की माँ प्रीत साँची-साँची चाहिए,
म्हाने तो बस म्हारी झुंझनवाली दादी चाहिए
थारो देख लियो दरबार
इब के मांगन की दरकार
नाही हीरा-मोती,नाही सोना-चांदी चाहिए,
म्हाने तो बस म्हारी झुंझनवाली दादी चाहिए