भंवर में नाव पड़ी है बिच मजधार हूँ मैं,
सहारा दीजिए आकर, की अब लाचार हूँ मैं,
भोले गिरजा पति हूँ तुम्हारी शरण,
भोले गिरजा पति हूँ तुम्हारी शरण,
हे कैलाश पति हूँ तुम्हारी शरण,
सुना है आपका जिसने कभी पुकार किया,
तो उसका अपने संकट से उद्धार किया,
भक्त हूँ आपका मै भी तो ऐ मेरे भोले,
आसारा आपका हमने भी ऐ सरकार किया,
हूँ तुम्हारी शरण, शरण तुम्हारी शरण,
सदा दरबार मे एक भीड़ भक्तो की लगी देखि,
हर एक भगत की झोली आपके दर पे भोले भरी देखि,
कोई लोटा नहीं खाली, तुम्हारे द्वार पे आके,
निपुत्री भांझ की हमने यहीं, गोदी हरी देखि,
यही है प्रार्थना तुमसे मेरे भोले शंकर,
दया की दृष्टि जरा डाल दो भोले मुझ पर,
तुम्हारे द्वार पर झुका दिया है सर ये कह कह कर,
हूँ तुम्हारी शरण, शरण तुम्हारी शरण
मै तो नादान हूँ दुनिया से भी अंजान हूँ,
पर ये सच है कि भोले मै तेरा दीवाना हूँ,
ठोकरें दुनिया की मेरे भोले मैं बहुत खाया हूँ,
होके लाचार मैं तेरे दर पे आया हूँ,
हूँ तुम्हारी शरण, शरण तुम्हारी शरण ,
मेरी झोली चरण के धूल से एक बार भर दी जे,
मेहर की एक नज़र सरकार शर्मा पे कर दी जे,
शरण देते हो सबको मेरी खातिर क्यों हुई देरी,
तुम्हारे हाथो मे है प्रभु अब लाज मेरी,
हूँ तुम्हारी शरण, शरण तुम्हारी शरण ,
तुम जो चाहोगे तो तक़दीर पलट जाएगी,
दुःख संकट एक पल में ही हट जाएगी,
मुझको विश्वास है और दिल में यकी है मुझको,
छोड़कर आपकी चोखट को अगर जाऊंगा,
अपने चरणों में पड़ा रहने दो मुझको भोले,
गर चरण छूटे तो बेमौत ही मर जाऊंगा,
हूँ तुम्हारी शरण, शरण तुम्हारी शरण,
तुम्हारे नाम के प्याले को पि रहा हूँ मै,
कृपा से आपकी दुनिया में जी रहा हूँ मै,
दया कर मेरे भोले ये शर्मा की दुहाई है,
मेरी बिगड़ी बना दे तुमने लाखों की बनाई है,
हूँ तुम्हारी शरण, शरण तुम्हारी शरण ,
भोले गिरजा पति हूँ तुम्हारी शरण,
भोले गिरजा पति हूँ तुम्हारी शरण,
हे कैलाश पति हूँ तुम्हारी शरण ,