दोहा: अपने हरि को हम दूंढ लीओ, जिन लाल अमोलक लाख मे |
हरि के अंग अंग मे नरमी है जितनी, नरमी नाही वैसी माखन मे ||
छवि देखत ही मै तो झाकी रही, मेरो चित चुरा लीओ झांकन मे |
हियरा में बसो, जियरा में बसो, प्यारी-प्यारे बसो दऊ आखन में ||
लाडली-लाल बसो, श्यामा-श्याम बसो दऊ आंखन में ||
जय जय राधा रमण हरि बोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||
नव नागर किशोर, नवल रसिया |
प्यारो ब्रज को छैल काहना, मन वसिया ||
करीं कालिंदी फूल किलोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||
अखियन काजर, मृग छोना सो |
नख बेसर जादू टोना सो ||
दऊ रस के भरें हैं कपोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||
अंगडाई ले मृधू मुस्कान पे,
कजरीली तिरछी चितवन पे,
शुक्दास बिका बिन मोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||