नन्द का लाला मुरली वाला कर गयो रे बलजोरी,
झटक मोरी पटक मोरी मटकी फोड़ी,
माखन चोर वो तेरो कन्हियाँ पनघट पर मोरी पकड़े भइयाँ,
ग्वाल बाल संग उधम मचावे नाच नचावे था था थइयाँ,
घूर घूर कर हमे डरावे पकड़ी गई जब चोरी,
झटक मोरी मटकी फोड़ी.........
बीच डगर मोहे बहुत सतावे निर्लज को कशू लाज न आवे,
आडी टेडी अदा दिखावे सखियन में मोरी हसि ओढावे,
हाथ जोड़ कर करू मैं विनती इक न माने मोरी,
झटक मोरी मटकी फोड़ी.....
मोर मुकट दो नैना मोटे हाथ है वा के छोटे छोटे,
यमुना तट पर आकर मइयां देख रहा मोहे नाहते धोते,
राणा के संग मिल कर व ने सारी हद है तोड़ी,
झटक मोरी मटकी फोड़ी