बाबा ने सुनी माहरे मन की आज कमी रही न धन की,
बाबा का शुक्र मनावा जी,हम गुण बाबा के गावा जी,
जो सेठ जगत का मोटा,सब करा म्हारा तोटा,
बाबा का शुक्र मनावा जी,हम गुण बाबा के गावा जी,
बाबा ने कर दी मौज माहरी नोटों से भरी रहे कोज महारी,
ना देर करि इक छन की अब जानो मेरे मन की,
बाबा का शुक्र मनावा जी,हम गुण बाबा के गावा जी,
महरे घर में तोटा था भारा मैं हांडू था मारया मारया,
मैंने सोदी न थी तन की बाबा खूब सुनी निर्धन की,
बाबा का शुक्र मनावा जी,हम गुण बाबा के गावा जी,
इक पोता पोती दी प्यारी खेले दे दे के दिल तारी,
खिल गई बगइयाँ माहरे मन की बड़ी शोभा घर आँगन की,
बाबा का शुक्र मनावा जी,हम गुण बाबा के गावा जी,
एहसान किया मुझपे वारि जाओ भीम सैन वारि वारि,
चढ़ी मस्ती तेरे भजन की सुनते हो तुम जन जन की,
बाबा का शुक्र मनावा जी,हम गुण बाबा के गावा जी,