मेरे तन मन मेरे जीवन में मेरे पास रहो,
शीश के दानी सारी उम्र मेरे साथ रहो,
लखदातार सारी उम्र मेरे साथ रहो,
एक पल के लिए मुझको न अकेली छोड़ू,
तुम मेरी आस हो विश्वाश हो मुख ना मोडो,
तुम भुलाओ गे तो मैं दौड़ी चली आउंगी,
तुम पुकारो तो सही दर पे नजर आउंगी,
बिन शृंगार तेरी जोगिनियाँ बन जाऊ गी,
बन के जोगन मैं श्याम श्याम गाउ गी,
शीश के दानी सारी उम्र मेरे साथ रहो,
लखदातार सारी उम्र मेरे साथ रहो,
मेरे अपनों ने मुझे ज़हर का प्याला ही दिया,
जीने के लिए मुझे एक निवाला न दिया,
मेरी लचार पे दुनिया को तरस न आया,
सुख का मेग मेरे सिर पे बरस ना पाया,
मुझको संगर्ष की जवाला में सदा झोक दिया,
तेरी भक्ति में श्याम खुद को तुझे सौंप दिया,
शीश के दानी सारी उम्र मेरे साथ रहो,
लखदातार सारी उम्र मेरे साथ रहो,
एक तेरा साथ मुझे प्राण से भी प्यारा है,
मेरी इस रूह को मेरे श्याम ने सवारा है,
जब से लागि है लग्न श्याम तेरी भक्ति की,
जब से आई है उमंग श्याम तेरी मस्ती की,
दुरी अब तुझसे श्याम से ना रह पाउंगी,
आखिरी सांस में गोविन्द नाम गाउ गी,
शीश के दानी सारी उम्र मेरे साथ रहो,
लखदातार सारी उम्र मेरे साथ रहो,