बल भुधि के दाता हनुमात कलयुग में विध्यमान है
मंगल के मगंल करता अंजनी सूत ही हनुमान है,
जेठ के मंगल में होते गली गली भंडारे,
हनुमत की पूजा को देखो भक्त खड़े है सारे,
तेरी भक्ति न पा कर ये आंसू भी अनजान है,
मंगल के मगंल करता अंजनी सूत ही हनुमान है,
भुत प्रेत कभी निकट ना आवे हनुमत तेरे नाम से,
राम सिया तेरे हिर्दय विराजे कहते हम शान से,
महावीर बजरंगी के चरणों में दुनिया जहां है,
मंगल के मगंल करता अंजनी सूत ही हनुमान है,