जाकी गति है हनुमान की

जाकी गति है हनुमान की ।
ताके मन मह बसत हैं,
श्री राम लखन अरु जानकी ॥

  1. हनुमत कृपा तुम्हारी होवे,
       फिकर नहीं यमबान की ।

  2. मेरे उर के बंधन काटे,
       रक्षा की निजमान की ।

  3. भवसागर में उलझी तूने,
       हर मुश्किल आसान की ।

  4. सच्चा मय हो जीवन सारा,
       दो शक्ति गुणगान की ।

  5. मेरे भीतर रमे राम की,
       तुनें ही पहचान की ।

  6. मैं तेरी बहना तू मेरा दादा ,
       लाज रखो इस आन की ।

    स्वर÷ परम पूज्या संत करुणामयी गुरु माँ
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