इस तरहा इनायत की तुमने साँई मुझ पर,
पारस ही बना डाला मेरे साँई,
पारस ही बना डाला मैं तो था इक पत्थर,
इस तरहा.......
हर एक मेरी ख्वाइश हर आस जुडी तुमसे,
पूरी होती हसरत साँई जी तेरे दर पर,
इस तरहा.......
बेनूर से नूरानी हो गई मेरी ज़िन्दगानी,
जबसे मैंने सर को रखा तेरे चरणों पर,
इस तरहा.......
मुझे परवाह नही इसकी मेरा कोई नहीं जग में,
तू साथ है तो साँई किस बात का मुझ को डर,
इस तरहा.......
बस एक तमन्ना है कुछ और नही चाहूँ,
शर्मा का दम निकले केवल तेरी चोखट पर
इस तरहा........................................