बाबा तेरे चरणों की अगर धूल ही जो मिल जाये,
सच कहता हु मेरी तकदीर बदल जाये,
ये मन बड़ा चंचल है इसे कैसे मैं समझाऊं,
जितना इसे समझाऊं उतना ही मचल जाए,
सब पर किरपा हो तेरी भव पार निकल जाये,
नजरो से गिरना ना, चाहे जितनी सजा देदो,
इक बार जो गिर जाऊ चरणों में जगह देदो,
वो खुशिया पा जाये तेरे दर पे जो आ जाये,
सुनते तेरा ही नूर दिन रात बरसता है,
ये दुख खड़ा दर पे दर्शन को तरस ता है,
दीदार तेरा पाउ बिगड़ी ही स्वर जाये,
बाबा मेरे मन की तो बस इक त्मना है,
तेरे चरणों में है जीना तेरे चरणों में मरना है,
चन्दर को अमर कर दो मुझे शोरत मिल जाये,