मेरे साईं तेरे गाओ में
तेरी नीम की ठंडी छाओ में
घर जो होता मेरा
इक दिन में सो बार में दर्शन करती बाबा तेरा
भाग मेरे खुल जाते पाप मेरे धुल जाते
मेरे साईं तेरे गाओ में
बहुत बड़ा आँगन है द्वारिका माई का ओ देवा
मुझे वसा ले यही करुगी सारी उम्र तेरी सेवा
मैं ना मांगू हीरे मोती ना चांदी न सोना
देदे अपने श्री चरणों में छोटा सा कोना
तुम रेहम नजर जो कर देते मेरी आस का दामन भर देते
मेरा शिर्डी में होता डेरा
इक दिन में सो बार मैं दर्शन करती बाबा तेरा
भाग मेरे खुल जाते पाप मेरे धुल जाते
तुम से पेहले जगती बाबा बाद तुम्हारे सोती
पहले मैं मंदिर धोती फिर चाकर आरती होती
तेरी भगती की गंगा में पाप में धुल जाते
जंग लगे है भाग की चिंता लोपे वो खुल जाते
ना रेहती तुमसे दूर कभी ना होती मैं मजबूर कभी,
शुभ होता हर इक सवेरा
इक दिन में सो बार मैं दर्शन करती बाबा तेरा
भाग मेरे खुल जाते पाप मेरे धुल जाते
संगीता की टोके तुमको हार रोज पहनाती
गीतों में साईं नाथ जी मन की बात बताती,
दूर दूर से संगत बाबा शिर्डी में आती
करके मैं भगतो की सेवा भगती का वर पाती
हर पल में तुम्हे नमन करती
मैं होके मगन भजन करती कटता जन्मो का फेरा
इक दिन में सो बार मैं दर्शन करती बाबा तेरा
भाग मेरे खुल जाते पाप मेरे धुल जाते