ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा
इक समय की बात बताऊ श्याम भक्त अलबेला था,
उसके घर आने जाने वालो का लगता मेला था,
प्रेम भाव से हाथ जोड़ कर सब का स्वागत करता था,
श्याम के प्रेमी मिल जाये तो उनसे सत्संग करता था,
ना जाने किस वेश में बाबा मिल जायेगा,
तू ले ले भैया सेल्फी जीवन बन जायगा
कार्तिक की ग्यारस की वो रात सुहानी आई है,
श्याम जन्मदिन मना रहे है घर में खुशियाँ आई है,
जगह जगह से भक्त पधारे बाबा के दरबार में
बाबा के कीर्तन की चर्चा होती है संसार में,
ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा,
रात के बारा भजते ही इक साधू ने परवेश किया,
भोजन करना मुझको उस भक्त को आदेश दिया,
हाथ जोड़ कर कहे भक्त महाराज निवेदन करता हु,
आसन ग्रहन करे प्रभु जी मैं खुद जा कर के लाता हु,
ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा,
थाल सजाया के लाया और साधू के आगे रखा है,.
बड़े चाव से साधू ने भोजन को थोडा चखा है,
भक्त कहे महाराज काहा से आये कहा को जाना है,
मैं तो कहता भोजन करके आज यही सो जाना है,
ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा,
द्वारिका से आया हु मुजको वृंदावन जाना है ,
कीर्तन की आवाज सुनी सोचा यही रुक जाना है,
भक्त कहे महाराज आप आराम से भोजन कर लेना,
मैं देखू पंडाल में जा कर जो चाहे वो ले लेना,
ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा,
कीर्तन में मस्ती छाई थी भक्त दीवाने नाच रहे,
ढोलक चंग नगाड़ा जैसे साज थमा थम भाज रहे,
साधू को कुछ दिया नही बड़ी दूर उसे जाना है,
कीर्तन से बहार आया पर अब उसको पश्ताना है,
ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा,
उसने बहार आ कर देखा कोई नजर नही आया है,
केसर चन्दन की खुशबू सारा आलम महकाया है,
कदम खिचे जाते है यहाँ साधू ने भोजन की न था,
नजर पड़ी आंसू झलके आसीस श्याम ने दीना था,
ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा,
केसर चन्दन से लपटे पग लया छोटे से बालक के,
पप्पू शर्मा शीश झुका सारी दुनिया के पालक के,
उसी जगह भगवान का इक छोटा सा मंदिर बनवाया,
भक्त और भगवान मिले सारी दुनिया को बतलाया,
ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा,
तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा,