जबसे मिली है सांवरे तेरी ये नौकरी
आदत सी बन गयी मेरी तेरी ये चाकरी
जबसे मिली है............
हर सुबह तेरे नाम से शुरुआत मैं करूँ
बातें करूँ तो सांवरे तेरी बात मैं करूँ
आँखों में बस गयी तेरी सूरत ये बावरी
आदत सी बन गयी मेरी तेरी ये चाकरी
जबसे मिली है............
तेरे नाम मैंने लिख दी है अपनी ये ज़िन्दगी
किस्मत मेरी जो मिल गयी तेरी ये बंदगी
चाहत मेरी तू है पहली तू ही है आखिरी
आदत सी बन गयी मेरी तेरी ये चाकरी
जबसे मिली है............
ये रिश्ते प्यार के तेरे मेरे यूँ ही रहे
हाथों जोड़ कर तेरा कुंदन यही कहे
यूँ ही लगता मैं रहूं तेरी ये हाज़िरी
आदत सी बन गयी मेरी तेरी ये चाकरी
जबसे मिली है............