नहीं बजता,
नहीं बजता ये डमरुँ,
भाँग बिना नहीं बजता,
अरे भाँग बिना ना लागे गौरा,
सुर और ताल निगोड़ी,
देख तमाशा डमरुँ का,
तू भाँग पिला दे थोड़ी
नहीं बजता,
नहीं बजता ये डमरुँ,
भाँग बिना नहीं बजता....
भाड़ में जाए तेरा डमरू,
आग लागे भंगिया को,
मेरे जैसी इस दुनिया में,
होगी नहीं कोई दुखिया हो ,
तू तो नशे में रहता है,
तू भाँग पिए ना थोड़ी,
तुझसे ब्याह करा के,
मैंने अपनी क़िस्मत फोड़ी
नहीं बजता,
नहीं बजता ये डमरुँ,
भाँग बिना नहीं बजता…..
एक दो दिन की बात नहीं है,
काम ये रोज़ का तेरा
मेरी कलाई ये टूटन लागी,
हाल हुआ ये मेरा,
तेरी मेरी नहीं बनेगी,
मैं तो पीहर दौड़ी
तू भी भोला में भी भोली,
बन जाऊँगी ढोली
नहीं बजता,
नहीं बजता ये डमरुँ,
भाँग बिना नहीं बजता……
ख़ैर खबरिया भक्तजनों की,
लेना बहुत ज़रूरी,
भाँग बिना ना ध्यान लागे,
मेरी है मजबूरी
अरे प्यार से भाँग पिला दे,
गौरा क्यूँ करती है चौड़ी,
दिल की घूटी प्यार का सोटा,
सोटा खूब बनेगी जोड़ी
नहीं बजता,
नहीं बजता ये डमरुँ,
भाँग बिना नहीं बजता……