डरना नहीं तू किसी बात के लिए,
गंगा जल ले जाना भोले नाथ के लिए,
कंकड़ पत्थर चूब जाये तो बिलकुल न गबराना,
ले भोले का नाम तू बंदे आगे बड़ते जाना,
आये अंधी तूफ़ान या बरसात के लिए ,
डरना नहीं किसी बात के लिए,
निर्धन को धन निर्बल को धन भोला देने वाला,
तीनो लोक का मालिक ये श्रृष्टि रचने वाला,
कुछ भी न कठिन है दीना नाथ के लिए,
डरना नहीं किसी बात के लिए,
संजू रख विश्वाश हिरदये में मुश्किल टल जायेगी,
हो गोर अंदेरा फिर भी मंजिल मिल जायेगी,
इक सवेरा निशित है हर रात के लिए
डरना नहीं किसी बात के लिए,