बिन मांगे सब कुछ देगा महिमा अप्रम पार,
मन में खाली सोच के देखो जे हॉवे दरकार,
मेरे श्याम को मेरे बाबा को कहते है लखदातर,
झूठा वाधा करे गे ना ही ऐसा नहीं सरकार,
सब की अर्जी सुन ले बाबा आवो न इक बार,
मेरे श्याम को मेरे बाबा को कहते है लखदातर,
कोई भी समास्या हो तो कहो आके बाबा से,
अपनों से दुखी है या तू पराये से,
यहाँ सरकार से न देश चलता है,
बाबा अपने सत से सारी दुनिया चलावे,
सारा दुखड़ा हरे गे बाबा करेगे बेडा पार,
मेरे श्याम को मेरे बाबा को कहते है लखदातर,
बाबा न्यायदीश बना बाबा ही वकील को,
श्रद्धा से जा के बस करदो अपील हो ,
जैसे केचरी में होती सुनवाई,
वैसे न देरी यहाँ होगी रे भाई,
इनके दर पे छोटा कौन है ना कोई बड़ा ही,
मेरे श्याम को मेरे बाबा को कहते है लखदातर,