स्वर्ग है उतरा धरती पर इक बार देखलो,
चिंतपूर्णी मियां का दरबार देखलो,
मस्तक गिरा था यहाँ सति का वहा पावन ये धाम बना,
चिंता हरती चिंतापुरनी भगतो का हर काम बना,
विनती सब की होती स्वीकार देख लो,
चिंतपूर्णी मियां का दरबार देखलो,
दो स्वर्गो में कौन सा प्यारा करते देव विचार है,
माँ के द्वारे तीन लोक में होती जय जय कार है,
देव पूरी लगे देवो को बेकार देख लो,
चिंतपूर्णी मियां का दरबार देखलो,
लाख सूंदर स्वर्ग वहा का इसका कोई जवाब नहीं,
खुले खजाने दया धर्म के होता कोई हिसाब नहीं,
छोटे बड़े का होता है सतिकार देख लो,
चिंतपूर्णी मियां का दरबार देखलो,
देव लोक को लगा के ताले द्वार देवता आये है,
राज प्रेम सेवा दारो में अपने नाम लिखाये है,
सेवा को तरसे सारा संसार देख लो,
चिंतपूर्णी मियां का दरबार देखलो,