आखरी समाय में हम करीब हो न हो
मिटटी खाटू धाम की नसीब हो न हो
जब तक तन में ये सांस रहेगी
थोड़ी सी ये मिटटी मेरे पास रहेगी
क्या पता ये धाम नज़दीक हो न हो
मिटटी खाटू धाम की नसीब हो न हो
तेरे धाम की ये मिटटी बड़ी ही महँ
इसके तो कण कण में है मेरा श्याम
इससे अच्छा मेरा ये नसीब हो न हो
मिटटी खाटू धाम की नसीब हो न हो
लाखों लाखों भक्तों के पाँव पड़े हैं
बरसों से इसमें मेरे श्याम खड़े है
अगले जनम में ये गरीब हो ना हो
मिटटी खाटू धाम की नसीब हो न हो
बनवारी मेरा ये नसीब खुल जाए
तेरी मिटटी में ये मेरी मिटटी मिल जाए
नाम मेरा भक्तों में शरीक हो ना हो
मिटटी खाटू धाम की नसीब हो न हो