डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये और ध्यान लगाए किसका,
ना जाने वो डमरू वाला न जाने वो डमरू वाला ।
सब देवों में है वो देव निराला....डमरू बजाए...॥

माथे पर चंदा जिसकी जटा में है गंगा,
रहती पार्वती संग में सवारी है बूढ़ा नंदा ।
वो कैलाशी है अविनाशी पहने सर्पों की माला... डमरु बजाए...।।

बाघम्बर धारी शिव भोला त्रिपुरारी,
रहता मस्त सदा जिसकी महिमा है जग में न्यारी,, ।
वो शिवशंकर है प्रलयंकर रहता सदा मतवाला...डमरू बजाये..।।

श्याम मंडल गाए शिव शंभू को ध्याए,
जो भी मांगे पा जाए दर से खाली ना जाए ।
बड़ा है दानी बड़ा है ज्ञानी सारे जग रखवाला...डमरू बजाए ।।
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