जीवन में विपदाएं आती
पग पग पे कांटे बिछाती
श्याम प्रेमी को छू नहीं पाएं
बाल भी बांका कर नहीं पाएं
मुस्कुरा कर के वो लौट जाती
दुःख की घड़ियों में दिल जब घबराये
कब क्या करना है समझ नहीं आये
ऐसे वक़्त में मेरा श्याम मुझको धीर बंधाता है
मेरी ऊँगली पकड़ के श्याम मंज़िल तक पहुंचाता है
संकट की वो घड़ियाँ गिनती है खुद घड़ियाँ
मुस्कुरा कर के वो लौट जाती
चाहे जितनी भी होव समस्या विकट
कहता हूँ मैं उससे श्याम है मेरे निकट
हो मेरा देख के ये विश्वास वो भी ना टकराती है
मेरी राहों में आकर वो खुद फूल बिछाती है
ग़म की वो परछाई समझ गयी सच्चाई
मुस्कुरा कर के वो लौट जाती
किस्मत वाला हूँ ऐसा मिला हमदम
मारे ख़ुशी के हैं आँखें मोहित की नम
सपने भी सच होने लगे पूरे होने लगे अरमान
जो कल तक ऊँगली उठाते थे वो अब करने लगे सम्मान
उलझन भी घबराती उलझ मुझसे नहीं पाती
मुस्कुरा कर के वो लौट जाती