नन्द लाल कन्हैया कारे तैरे नैना है मतवारे
क्युं नैनों से तीर चलाये रे,
हम गोपी भोरी भारी हैं,
ना जाने प्रीत अनाडी हैं,
तुने प्रीत का पाठ पढा करके,
क्युं हमसे करे छिछोरी है,
क्यु निंदीया हमरी उडाये,
तोहे लाज शरम ना आये,
क्युं नैनो.......
मेरो बालम गुजर खोटो है,
जो देखे मार सोटो है,
सासु भी ताना मारे है,
ननदल भी जियो जलावे है,
क्युं रोके रस्तो मेरो,
तु मानले कहनो मेरो,
क्युं नैनों ........ .
तेरे नेनों में कैसो जादू है,
तु नटखट जादुगारो है,
तु मुरली मधुर बजाव क्युं,
उषा को जियो चुराव क्युं,
हे श्याम जरा बतलादे,
के पावे हमें रुलाके,
क्युं नैनों.................